पहली बार NSG कमांडोज कर रहे हैं US स्पेशल फोर्स के साथ तीन हफ्ते की ट्रेनिंग

अमेरिकी एंबेसेडर ने बताया खास
भारत में अमेरिकी एंबेसेडर रिचर्ड वर्मा ने इस ज्वाइंट ट्रेनिंग को बेहद खास बताया है। उन्होंने कहा कि यह भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों तथा भारत की सिक्युरिटी के लिहाज से बड़ा कदम है। जुलाई में पंजाब के गुरदासपुर में हुए आतंकी हमले के बाद अमेरिका और भारत आतंकवाद से निपटने के मुद्दे पर तेजी से कोऑपरेट कर रहे हैं। गुरदासपुर में मारे गए आतंकियों के पास से मिले जीपीएस डिवाइस को अमेरिकी एक्सपर्ट ने ही डिकोड किया था। इसके बाद ही साफ हो पाया था कि आतंकी पाकिस्तान से आए थे। आतंकियों के पास से जो नाइट विजन डिवाइस मिले थे। उनकी जांच के बाद पेंटागन ने पाया था कि ये वो डिवाइस हैं जो अफगानिस्तान में अमेरिकी फौज ने खो दिए थे।
इस एक्सरसाइज के मायने क्या
वर्मा के मुताबिक, “एनएसजी और स्पेशल फोर्स के कमांडोज की यह ज्वाइंट एक्सरसाइज इस बात का सबूत है कि दोनों देशों के बीच सिक्युरिटी को लेकर कितना कोऑपरेशन बढ़ रहा है।” एक्सरसाइज से जुड़े एक अमेरिकी अफसर ने कहा, “एनएसजी मुसीबत के वक्त हमारी मदद ले सकती है। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि दोनों फोर्सेज के बीच आपसी सहयोग बढ़े। हम इंटेलिजेंस एक्सचेंज भी करना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि दोनों फोर्सेज के लिए एक कंबाइंड ऑपरेशन रूम हो और हम कंबाइंड रेड भी करें।”
स्पेशल एयरक्राफ्ट से आई है अमेरिकी टीम
इस ज्वाइंट एक्सरसाइज के लिए यूएस टीम के एक दर्जन से ज्यादा कमांडोज स्पेशल एयरक्राफ्ट से आए हैं। एक्सरसाइज में एनएसजी के स्पेशल एक्शन ग्रुप 51 के 30 कमांडो हिस्सा ले रहे हैं। बता दें कि यूएस और इंडियन आर्मी हर साल ‘वज्र प्रहार’नाम के प्रोग्राम में कंबाइंड एक्सरसाइज करती हैं। हालांकि ये पहली बार है जब दोनों देशों की स्पेशल कमांडो फोर्स इस तरह की एक्सरसाइज कर रही हों। एनएसजी कमांडो का यह वही दस्ता है जिसने मुंबई पर हुए आतंकी हमलों के दौरान आतंकियों को मार गिराया था। अमेरिकी स्पेशल फोर्स कमांड का हेडक्वार्टर हवाई में है। इस एक्सरसाइज के लिए पिछले 10 सालों से कोशिश हो रही थी लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद अब यह एक्सरसाइज हो सकी। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की इसी साल जनवरी में भारत विजिट के बाद दोनों देशों के बीच इस एक्सरसाइज पर सहमति बनी थी। और पढ़ें
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